Bihar Board Matric Hindi Subjective Question & Answers : बिहार बोर्ड महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

Bihar Board Matric Hindi Subjective Question

निम्नलिखित गद्यांशो में से सभी को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर है लिए चलते हैं।

Bihar Board Matric Hindi Subjective Question : आत्मनिर्भरता का अर्थ है-अपने ऊपर निर्भर रहना, जो व्यक्ति दूसरे के मुंह को नहीं ताकते वे ही आत्मनिर्भर होते हैं। वास्तुत: आत्मविश्वास के बल पर कार्य करते रहना आत्मनिर्भरता है। आत्मनिर्भरता का अर्थ है- समाज, निज तथा राष्ट्रों की आवश्यकताओं की पूर्ति करना। व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र में आत्मविश्वास की भावना, आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।

स्वावलंबन जीवन की सफलता की पहली सीढ़ी है। सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को स्वावलंबी अवश्य होना चाहिए होना चाहिए। स्वालंबन व्यक्ति, समाज राष्ट्र के लिए जीवन में स्वरागिन सफलता प्राप्ति का महामंत्र है। स्वालंबन जीवन का अमूल्य आभूषण है, वीरो तथा कर्म योगो का इष्ट देव है।स्वरागिन उन्नति का आधार है। जब व्यक्ति स्वावलंबी होगा, उसमें आत्मनिर्भरता होगी, तो ऐसा कोई कार्य नहीं जिसे वह कर न सके।

Bihar Board Matric Hindi Subjective
Bihar Board Matric Hindi Subjective

Bihar Board Subjective Questions 

स्वालंबी मनुष्य के सामने कोई भी कार्य आ जाए, तो वह अपने दृढ़ विश्वास से, अपने आत्म बल से उसे अवश्य ही संपूर्ण कर लगा। स्वालंबी मनुष्य जीवन में कभी भी असफलता का मुंह नहीं देखता। वह जीवन के हर क्षेत्र में निरंतर कामयाब होता जाता है।

जिस व्यक्ति का स्वयं अपने आप पर ही विश्वास नहीं वह भला क्या कर पाएगा? परंतु इसके विपरीत जिस व्यक्ति में आत्मनिर्भरता होगी वह कभी भी किसी के सामने नहीं झुकेगा। वह जो करेगा सोच समझ कर धैर्य से करेगा। मनुष्य में सबसे बड़ी कमी स्वालंबन का न होना है। सबसे बड़ा गुण भी मनुष्य की आत्मनिर्भरता ही है।

    आत्मनिर्भरता मनुष्य को श्रेष्ठ बनती है। स्वालंबी मनुष्य का अपने आप पर विश्वास होता है जिससे वह किसी के भी खाने में नहीं आ सकता। यदि हमें कोई भी काम सुधारना है तो हमें किसी के अधीन नहीं रहना चाहिए बल्कि उसे स्वयं करना चाहिए। एकलव्य स्वयं के प्रयास से धनु विद्या में प्रवीण बना।

Most Vvi Subjective Question 

निपट दरिद्र विद्यार्थी लाल बहादुर शास्त्री भारत के प्रधानमंत्री बने साधारण से परिवार में जन्मे जय सिंह स्वावलंबन के सहारे ही भारत के राष्ट्रपति बने। जिस प्रकार अलंकार काव्य की शोभा बढ़ाते हैं, सूक्ति भाषा को चमत्कृत करती है, गहने नई की सुंदर बढ़ाते हैं, इस प्रकार आत्मनिर्भरता मानव में अनेक गुनो की प्रतिष्ठा करती है। 

A) ’आत्मनिर्भरता व्यक्ति’ से आप क्या समझते हैं?

Ans- आत्मनिर्भरता व्यक्ति उसे कहते हैं जो आत्मविश्वास के बल पर अपना कार्य स्वयं करता हो।

B)  सफलता तो स्वालंबी मनुष्य की दासी बनकर रहती है । कैसे?

Ans- स्वालंबी व्यक्ति दृढ़ विश्वास से अपने आत्म बल से कोई भी कार्य अवश्य ही संपूर्ण कर लेता है। इससे सफलता उसकी दासी बनकर रहती है।

C) एकलव्य और लाल बहादुर शास्त्री के उदाहरण लेखक ने किस संदर्भ में दिया है?

Ans- एकलव्य स्वयं के प्रयास से धनु विद्या में प्रवीण बना। निपट दरिद्र विद्यार्थी लाल बहादुर शास्त्री भी स्वयं के प्रयास और मेहनत से भारत के प्रधानमंत्री बने।

D) आत्मनिर्भरता मनुष्य को श्रेष्ठ किस प्रकार बनती है?

Ans- जिस प्रकार अलंकार काव्य की शोभा बढ़ाते हैं, मुक्ति भाषा को चमत्कृत करती है, गहने नारी की सुंदर को बढ़ाता है, उसी प्रकार आत्मनिर्भरता मनुष्य को श्रेष्ठ बनती है।

E)  इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए

Ans- सफलता की प्राप्ति का महामंत्र-स्वालंबन गद्यांश 

2 गद्यांश 

आज से 100 वर्ष पूर्व मोहनदास करमचंद गांधी ने शिक्षा के परिवर्तन पर मंथन किया था। उन्होंने शिक्षा का विश्लेषण केवल विद्यालय पुस्तक तथा परीक्षा तक ही सीमित रखकर नहीं किया था अपितु उन्होंने भारत की स्थिति पर विचार करने प्रगति सभ्यता तथा स्वतंत्रता को रखने का माध्यम बनाया था।

ऐसा नहीं कि उनके प्रत्येक विचार से सभी सहमत हो पर सभी इस बात पर सहमत हैं कि उनके विचारों में समग्रता, ईमानदारी, प्रखरता तथा भविष्य निर्माण की दृष्टि थी। प्रसिद्ध टिप्पणीकार जगमोहन सिंह राजपूत ने लिखा है

कि “भारत ने अनेक शिक्षाविद तथा नीति निर्धारक जब गांधी के ’हिंद स्वराज’मैं दिए गए विचार तथा बाद में बुनियादी शिक्षा और नई तालीम पर उनके विचारों से मुंह चुराते हैं, तब यह स्पष्ट हो जाता है कि गांधी के विचारों की गतिशीलता को या तो समझ नहीं पा रहे हैं या समझना नहीं चाहते। ” हिंद स्वराज पुस्तक 1903 में लिखी गई। महात्मा गांधी पहली बार 1888 में विदेश के लिए रवाना हुए थे।

Hindi Subjective Question Answers 

वह 1888 से 1914 तक भारत मे केवल चार वर्ष ही रहे। गोपाल कृष्ण गोखले ने गांधी जी को सलाह दी थी कि उन्हें भारत भ्रमण कर देश की परिस्थितियों से परिचित होना चाहिए। इस सलाह के पूर्व ही गांधी ने हिंद स्वराज नामक पुस्तक लिखी थी।

नवंबर 1905 में गांधी ने शिक्षा पर एक लेख लिखा था। उसे लेख में उन्हें दक्षिण अफ्रीका के भारतीयों को सलाह दी थी कि उन्होंने भारत में घटित हो रहे परिवर्तनों से सबक लेना चाहिए। उसे समय गांधीजी अंग्रेजी एवं गुजराती में इंडियन ओपिनियन नामक अखबार निकल रहे थे। शिक्षा संबंधित विचार उसे समय उनके मानस में अंकुरित हो चुके थे।

उसे लेख में उन्होंने कहा था कि भारतीयों का यह कर्तव्य बनता है कि वे शिक्षा प्रसार के लाभों से परिचित हो और यदि दक्षिण अफ्रीका की सरकार आगे नहीं आती है तो वह स्वयं आगे जाकर भारतीय बच्चों की शिक्षा का प्रबंध करें। ”

A ) हिंद स्वराज की रचना कब हुई एवं इस लेख  में महात्मा गांधी ने भारतीयों से क्या कहा था?

Ans- हिंद स्वराज पुस्तक की रचना 1903 ईस्वी में हुई थी। इस लेख में महात्मा गांधी ने भारतीयों से यह कहा था कि उनका (भारतीयों) यह कर्तव्य बनता है कि वह शिक्षा प्रसार के लाभों से परिचित हो।

B ) महात्मा गांधी को गोपाल कृष्ण गोखले ने कौन सी सलाह दी थी?

Ans- गोपाल कृष्ण गोखले ने गांधी जी को भारत भ्रमण कर देश की परिस्थितियों को समझने को कहा था।

C ) भारत में अनेक शिक्षाविद महात्मा गांधी के शिक्षा संबंधित विचारों से क्यों सहमत नहीं है?

Ans- भारत के अनेक शिक्षाविद गांधी जी के शिक्षा संबंधित विचारों से इसलिए सहमत नहीं है क्योंकि या तो वह अब तक इन्हें समझ नहीं पाए हैं या समझना नहीं चाहते हैं। Bihar Board Matric Hindi Subjective Question

D ) महात्मा गांधी ने नवंबर 1905 में अपने लेख में दक्षिण अफ्रीका में रह रहे भारतीयों से क्या कहा था?

Ans- महात्मा गांधी ने नवंबर 1950 में अपने लेख में दक्षिण अफ्रीका में रह रहे भारतीयों को भारत की बदलती परिस्थितियों से सबक लेने को कहा था।

E ) शिक्षा के संबंध में महात्मा गांधी की धारणा क्या थी?

Ans-शिक्षा पढ़ने या पढ़ने का नाम नहीं है। शिक्षा का मतलब है देश की स्थिति स्थिति प्रगति सभ्यता एवं स्वतंत्रता को परखने की समझ शिक्षा के संबंध में महात्मा गांधी की यही धारणा थी।

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